मुद्रा का अवमूल्यन क्या होता है?

(A) अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त मुद्राओं की तुलना में देश की मुद्रा का मूल्य घट जाना।
(B) मुद्रा विशेष को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना उचित मूल्य अंकवाने देना।
(C) कुछ पूर्व निर्धारित मुद्राओं के समूह के मूल्य में आने वाले परिवर्तनों के साथ मुद्रा विशेष का मूल्य निर्धारित करना।
(D) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और प्रमुख व्यापार सहभागियों के साथ बहुपक्षीय परामर्श करके मुद्रा विशेष का मूल्य निर्धारित करना।

Question Asked : UPPCS (Pre) 1994

Answer : अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त मुद्राओं की तुलना में देश की मुद्रा का मूल्य घट जाना

Explanation : मुद्रा के अवमूल्यन का तात्पर्य रुपये का विदेशी मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य में कमी से है। भारतीय रुपये का अब तक तीन बार अवमूल्यन (वर्ष 1949, 1966 तथा 1991 में) किया जा चुका है। 1947 में विनिमय दर 1USD = 1INR था, लेकिन आज आपको एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए 66 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मुद्रा के अवमूल्यन का अर्थ “घरेलू मुद्रा के बाह्य मूल्य में कमी होना, जबकि आंतरिक मूल्य का स्थिर रहना” है। कोई भी देश अपने प्रतिकूल भुगतान संतुलन (BOP) को सही करने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है। यदि कोई देश प्रतिकूल भुगतान संतुलन (BOP) का सामना कर रहा है, तो इस स्थिति में वह अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है जिससे उसका निर्यात सस्ता हो जाता है और आयात महंगा हो जाता है।
Tags : अर्थव्यवस्था प्रश्नोत्तरी
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
करेंट अफेयर्स 2023 और नवीनतम जीके अपडेट के लिए GK Prashn Uttar YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें
Related Questions
Web Title : Mudra Ka Avmulyan Kya Hota Hai 2