वृक्ष की आयु कैसे मापी जाती है?

(A) इसके भार द्वारा
(B) इसकी ऊंचाई द्वारा
(C) इसमें वार्षिक वलयों की संख्या के आधार पर
(D) इसकी जड़ों की लंबाई द्वारा

Question Asked : NDA Exam 2005

Answer : इसमें वार्षिक वलयों की संख्या के आधार पर

वृक्ष की आयु वर्षों में इसके वार्षिक वलयों की संख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है। बसंत के मौसम में कैम्बियम बहुत सक्रिय होता है और अधिक संख्या में वाहिकाएं बनाता है जिसकी गुहिका चौड़ी होती है। बसंत के मौसम में बनने वाली काष्ठ को बसंत दारू अथवा अग्र दारू कहते हैं। सर्दियों में ​कैम्बियम कुछ कम सक्रिय होता है और संकरी वाहिकाएं बनाता है। इस काष्ठ को बंसत दारू अथवा अग्र दारू कहते हैं। सर्दियों में कैम्बियम कुछ कम सक्रिय होता है और संकरी वाहिकाएं बनाता है। इस काष्ठ को शरद दारू अथवा पश्चदरू कहते हैं। बसंत का रंग हल्का होता है और घनत्व भी कम होता है। शरद दारू गहरे रंग की होती है और घनत्व भी अधिक होता है। दो प्रकार के काष्ठ एकांतर संकेंद्र वलय के रूप में होते हैं जिन्हें वार्षिक वलय कहते हैं। इन वार्षिक वलयों को गिनकर वृक्ष की आयु का अनुमान लगा सकते हैं।
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Web Title : Vriksh Ki Aayu Kaise Mapi Jati Hai