घाटे की वित्त व्यवस्था एक साधन है?

(A) करों में कमी
(B) मजदूरी में बढ़ोतरी
(C) मुद्रा आपूर्ति में बढ़ोतरी
(D) मुद्रा आपूर्ति में कमी

Question Asked : UPPSC 2004

Answer : मुद्रा आपूर्ति में बढ़ोतरी

घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit Financing) में मुद्रा की मात्रा बढ़ाई जाती है। इसे हीनार्थ प्रबंधन भी कहते हैं। घाटे की वित्त व्यवस्था मुख्यत: वित्तीय कोष जुटाने का एक स्त्रोत होता है। बतादें कि यदि किसी अवधि में व्यय, संप्राप्ति (रिवेन्यू) से अधिक हो तो इसे घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit financing) या घाटे का बजट (deficit budget) कहते हैं, तथा व्यय और संप्राप्ति के अन्तर को घाटा या बजट घाटा (budget deficit) कहते हैं। 'घाटे के बजट' का विलोम 'बचत का बजट" (surplus budget) तथा 'बजट घाटा' का विलोम 'बजट अधिक्य' (budget surplus) है। घाटे/बचत की वित्त व्यवस्था किसी सरकार की हो सकती है, किसी निजी कम्पनी की, या किसी व्यक्ति की अर्थशास्त्र में घाटे की वित्त व्यवस्था एक विवादास्पद विषय है जिसके लाभ/हानि पर विद्वानों के अलग-अलग विचार हैं।
Tags : अर्थव्यवस्था प्रश्नोत्तरी
Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Ghate Ki Vitt Vyavastha Ek Sadhan Hai