अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) स्वयं द्वारा सम्पदित कार्य फलदायक होता है
(B) दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए स्वयं की हानि के लिए भी तैयार रहना
(C) समय निकल जाने पर पछताना, समय निकल जाने पर प्रयत्नशील होना
(D) स्वार्थ-लाभ, सम्पूर्ण लाभ स्वयं उठाना

Answer : स्वार्थ-लाभ, सम्पूर्ण लाभ स्वयं उठाना

Explanation : अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे का अर्थ andha bante revdi phir phir apno ko de है 'स्वार्थ-लाभ, सम्पूर्ण लाभ स्वयं उठाना।' हिंदी लोकोक्ति अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे का वाक्य में प्रयोग होगा – वर्तमान समय में नेतागण अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को ही दे वाली उक्ति चरितार्थ कर हरे हैं। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
Tags : लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे हिंदी लोकोक्तियाँ हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ
Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Andha Bante Revdi Phir Phir Apno Ko De