अष्टांगिक मार्ग की संकल्पना अंग है?

(A) दीपवंश की विषय वस्तु का
(B) दिव्यावदान की विषय वस्तु का
(C) महापरिर्निर्वाण की विषय वस्तु का
(D) धर्मचक्र प्रवर्तन सुत की विषय वस्तु का

Question Asked : IAS (Pre) GS 1998

Answer : धर्मचक्र प्रवर्तन सुत की विषय वस्तु का

Explanation : अष्टांगिक मार्ग की संकल्पना अंग धर्मचक्र प्रवर्तन सुत की विषय वस्तु का है। गौतम बुद्ध ने चतुर्थ आर्य सत्य में दु:ख निरोध का उपाय बताया है। इसे 'दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा' 'मध्यमा प्रतिपदा' 'मध्यम मार्ग' भी कहते हैंं इस मध्यमा प्रतिपदा में आठ मार्ग हैं इसलिए इसे 'अष्टांग मार्ग' भी कहा जाता है। इसके आठ सोपान हैं - सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वाक्, सम्यक् कर्मांत्, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति एवं सम्यक् समाधि। अष्टांग मार्ग या अष्टांगिक मार्ग की संकल्पना धर्मचक्र प्रवर्तन सुत की विषयवस्तु का अंग है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Astangik Marg Ki Sankalpana Ang Hai