अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम् का अर्थ

(A) मूख को उपदेश देने से उसका क्रोध शान्त नहीं होता।
(B) पेट भरने के लिए अनेक प्रकार के रूप बनाने पड़ते हैं।
(C) अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा।
(D) गरीब का कौन मित्र?

Answer : अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा।

Explanation : अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम् का अर्थ अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा। यह संस्कृत की प्रसिद्ध कहावत है। अति सर्वत्र वर्जयेत श्लोक, अति सर्वत्र वर्जयेत मीनिंग इन हिंदी शब्दार्थ है अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा। संस्कृत के मुहावरे एवं संस्कृत लोकोक्तियाँ के अर्थ सामान्य हिंदी के पेपर में अक्सर पूछे जाते है। संस्कृत की एक प्रचलित कहावत यह भी है–
आहारे व्यवहारो च त्यक्तल्ज्ज: सुखी भवेत्।
अर्थ – आहार, व्यवहार में लल्जा छोड़ने से ही सुख मिलता है।
Tags : संस्कृत मुहावरे संस्कृत लोकोक्तियाँ
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