देवशयनी एकादशी कब है 2022 में

Answer : 10 जुलाई 2021

Explanation : आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही पद्मा, आषाढ़ी, हरिशयनी और देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। वर्ष 2022 में यह रविवार 10 जुलाई को है। चातुर्मास भी इसी दिन से शुरू होता है। गणेश और श्री हरि सहित अन्य सभी देवी-देवताओं की आराधना करने वाले संन्यासियों को चातुर्मास में यह निर्देश है कि वे श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक की शुक्ल एकादशी तक समाज को मोक्षदायक ज्ञान प्रदान करें। प्राचीन काल से चल रही परम्परा का अनुकरण आज भी हमारे साधु-संत करते हैं। कलियुग में नाम चर्चा और नित्य नाम स्मरण मोक्ष प्रदान करता है। साथ ही, जरूरी सांसारिक इच्छाओं को भी पूरा करता है। इस एकादशी से ही जीवन केशुभ कर्म-यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गृहप्रवेश आदि सभी स्थगित हो जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया था। तब नारायण ने चार मास तक क्षीर सागर में शयन किया था।

देवशयनी एकादशी व्रत में विष्णुजी की पूजा करें। अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार, सोने, चांदी, ताम्बे या पीतल की मूर्ति की स्थापना अवश्य करें। संभव हो तो षोडशोपचार सहित पूजन करें। इसके बाद भगवान को पीताम्बर आदि वस्त्र पहनाएं। आरती कर सफेद चादर वाले गद्दे-तकिए आदिवाले पलंग पर विष्णु को शयन कराना चाहिए। साथ ही, व्यक्ति को इन चार महीनों के लिए अपनी रुचि या मनोकामना के अनसार कम से कम एक पदार्थका त्याग करना चाहिए। प्रभु शयन के दिनों में पलंग पर सोना, झूठ बोलना, मांस, शहद और दूसरे का दिया भोजन, मूली एवं बैंगन आदि का भी त्याग करना चाहिए। साथ ही, पूर्णब्रह्मचर्य का पालन इनचारमासों में अति आवश्यक बताया गया है। कथा है किसतयग में चक्रवर्ती सम्राट मान्धाता के राज्य में भयंकर अकाल पड़ा, तब ऋषि अंगिरा ने उन्हें आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत करने को कहा, जिससे उनका राज्य फिर से खुशहाल हो गया।
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Web Title : Devshayani Ekadashi Kab Hai