‘एको रसः करुण’ किस कवि की पक्ति है?

(A) कालिदास
(B) बाणभट्ट
(C) भवभूति
(D) माघ

Answer : भवभूति

Explanation : भवभूति— ‘एको रस: करुण’ एवं महाकवि भवभूति ने ‘उत्तरामचरितम्’ में एक मात्र करुण रस को ही रस माना है। भवभूति का कहना है कि रस केवल एक है और वह करुण रस है तथा निमित्त भेद से श्रृंगारादि विभिन्न प्रकार से दिखार्द देता है। जिस प्रकार एक ही जल बुदबुद (बुल्ला) भँवर एवं तंरग के रूप में अलग-अलग दिखार्द देता है। वस्तुत: सब एक ही जल है। उसी प्रकार श्रृंगारिद अन्य सभी रस करुण रस के ही विभिन्न रूप है। अर्थात् श्रृंगारादि स्थायी भाव शोक है। शोक चित की एक कष्टप्रद अवस्था है। इस प्रकार करुण रस के विवत्र्त मात्र है। करुण रस दु:खात्मक है जतो फिर क्यों इसे देखने के लिए लोग प्रवृत्त होते हैं? इसका उत्तर यह है कि वस्तुत: करुण रस सुखात्मक है, क्योंकि रंगमंच पर शोक का जो भाव जाग्रत होता है, वह सामान्य शोक से भिन्न है। विश्वनाथ ने भी करुण रस को सुख परक माना है।
Tags : सामान्य हिन्दी प्रश्नोत्तरी
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Answers by users

Mandakini Modhe, October 18, 2020

\"*एको रसः करुण एव*\" विषय सम्बन्धित अधिक जानकारी उपलब्ध किजीएगा जी।
धन्यवाद जी।🙏

मन्दाकिनी महोदयाः अस्मि।।

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Web Title : Eko Rasah Karun Kis Kavi Ki Pakti Hai