हाथ सुमरनी बगल कतरनी का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) सभी के साथ एक-सा बर्ताव
(B) मन में कुछ और प्रत्यक्ष में कुछ और। ऊपर से निर्मल’ भीतर से कलुषित
(C) सच्चे व्यक्ति को डर किस बात का
(D) काम भी निकल जाये और हानि भी न हो

Answer : मन में कुछ और प्रत्यक्ष में कुछ और। ऊपर से निर्मल' भीतर से कलुषित

Explanation : हाथ सुमरनी बगल कतरनी का अर्थ haath sumarni bagal katarni है 'मन में कुछ और प्रत्यक्ष में कुछ और। ऊपर से निर्मल' भीतर से कलुषित।' हिंदी लोकोक्ति हाथ सुमरनी बगल कतरनी का वाक्य में प्रयोग होगा – आज के स्वार्थी युग में कपट और छल का बोलबाला सर्वदा दिख रहा है। 'हाथ सुमरनी बगल कतरनी' कहावत को चरितार्थ करते हुए अधिकांश लोग मिल जायेंगे जिनके मन में कुछ, और प्रत्यक्ष में कुछ और होता है जिससे वे समाज को कपट एवं छल से छलते हैं।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'हाथ सुमरनी बगल कतरनी' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Haath Sumarni Bagal Katarni