हिंदू मग पर पाँव न राख्यो पंक्ति किस बोली में है?

(A) ब्रज
(B) भोजपुरी
(C) अवधी
(D) बुंदेली

Answer : अवधी

Explanation : हिंदू मग पर पाँव न राख्यो पंक्ति अवधी बोली में है। सूफी कवि नूरमुहम्मद ने 'इंद्रावती' नामक एक सुंदर प्रेमाख्यान काव्य ग्रंथ की रचना की। कहते हैं कि उन्हें समय-समय पर मुसलमानों से यह उपालम्भ सुनने को मिलता था कि तुम मुसलमान होकर हिंदी भाषा में काव्य रचना क्यों करते हो? परिणामतः उन्होंने 'अनुराग बाँसुरी' के आरम्भ में अपना पक्ष प्रस्तुत किया–
"जानत है वह सिरजन हारा। जो किछु है मन मरम हमारा।।
हिंदू मग पर पाँव न राखेउँ। का जो बहुतै हिंदी भाखेउँ।।
मन इसलाम मिरिकलैं माँजेउँ। दीन जेवरी करकस भाँजेउँ।।
जहँ रसूल अल्लाह पियारा। उम्मत को मुक्तावनहारा।।
तहाँ दूसरो कैसे भावै। जच्छ असुर सुर काग न आवै।।"
Tags : हिंदी साहित्य
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Web Title : Hindu Mag Par Paanv Na Rakhyo