जब चने थे तब दांत न थे, तब दांत भए तब चने नहीं का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) कभी वस्तु होने पर उसका उपभोग करने वाला नहीं होता और कभी भोग करने वाला होता है तो वस्तु नहीं होती
(B) सस्ती चीज खराब होती है
(C) सच्चे व्यक्ति को डर किस बात का
(D) काम भी निकल जाये और हानि भी न हो

Answer : कभी वस्तु होने पर उसका उपभोग करने वाला नहीं होता और कभी भोग करने वाला होता है तो वस्तु नहीं होती

Explanation : जब चने थे तब दांत न थे, तब दांत भए तब चने नहीं का अर्थ jab chane the tab dant na the tab dant bhe tab chane nahi है 'कभी वस्तु होने पर उसका उपभोग करने वाला नहीं होता और कभी भोग करने वाला होता है तो वस्तु नहीं होती।' हिंदी लोकोक्ति जब चने थे तब दांत न थे, तब दांत भए तब चने नहीं का वाक्य में प्रयोग होगा – प्रेक्षागृह में दर्शकों की संख्या कम रहने पर भी बहुत बार निर्देशक योगेश विक्रान्त के नाटक 'लीला की छोकरी' का मंचन हुआ लेकिन जब आज कल दर्शकों की संख्या बढ़ गई है तब विक्रान्त अपनी पूरी टीम के साथ दिल्ली गये हैं यह तो 'जब चने थे तब दांत न थे, जब दांत भए तब चने नहीं' कहावत को चरितार्थ करता है। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जब चने थे तब दांत न थे, तब दांत भए तब चने नहीं' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Jab Chane The Tab Dant Na The Tab Dant Bhe Tab Chane Nahi