जबान ही हाथी चढ़ाये, जबान ही सिर कटाये का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) अवसर बीत जाने पर चेष्टा व्य​र्थ
(B) बोली से ही सम्मान और बोली से अपमान होता है
(C) शोर ज्यादा प्राप्ति बहुत कम
(D) समय आने पर परिश्रम सफल होता है

Answer : बोली से ही सम्मान और बोली से अपमान होता है

Explanation : जबान ही हाथी चढ़ाये, जबान ही सिर कटाये का अर्थ jaban he hathi chadhaye jaban he sir kataye है 'बोली से ही सम्मान और बोली से अपमान होता है।' हिंदी लोकोक्ति जबान ही हाथी चढ़ाये, जबान ही सिर कटाये का वाक्य में प्रयोग होगा – इस तरह से किसी को कुछ कहना ठीक नहीं होता है क्योंकि जबान ही हाथी चढ़ाती है, और जबान ही सिर भी कटा देती है। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जबान ही हाथी चढ़ाये, जबान ही सिर कटाये' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Jaban He Hathi Chadhaye Jaban He Sir Kataye