जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) स्थिति बड़ी अनिश्चित है
(B) भले लोगों के स्थान पर बुरे लोगों के हाथ में अधिकार
(C) कठिनाइंया झेलते-झेलते आदमी ऊंचा पद पाता है
(D) कवि की कल्पना वहां तक पहुंचती है जहां तक सूर्य की किरणें भी नहीं पहुंच पातीं

Answer : कवि की कल्पना वहां तक पहुंचती है जहां तक सूर्य की किरणें भी नहीं पहुंच पातीं

Explanation : जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि का अर्थ jahan na pahunche ravi wahan pahunche kavi है 'कवि की कल्पना वहां तक पहुंचती है जहां तक सूर्य की किरणें भी नहीं पहुंच पातीं।' हिंदी लोकोक्ति जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि का वाक्य में प्रयोग होगा – सूरदासजी ने वास्वत में जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि को अपने पदों में चरितार्थ किया है। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Jahan Na Pahunche Ravi Wahan Pahunche Kavi