जीभ भी जली और स्वाद भी न आया का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) दुविधा या सोच-विचार में पड़ने से काम नहीं होता
(B) स्वयं अपने आप प्रत्यन करने पर ही काम बनता है।
(C) ईश्वर की कृपा से नाकाबिल भी काबिल हो जाता है
(D) दु:ख सहकर भी सुख न मिला

Answer : दु:ख सहकर भी सुख न मिला

Explanation : जीभ भी जली और स्वाद भी न आया का अर्थ jeebh bhi jali aur swad bhi na aaya है 'दु:ख सहकर भी सुख न मिला।' हिंदी लोकोक्ति जीभ भी जली और स्वाद भी न आया का वाक्य में प्रयोग होगा – रात दिन कड़ी मेहनत करके इस मकान को बनाया लेकिन बंटवारा होने पर भाइयों ने मकान को लेकर हमारे साथ ऐसी बेईमानी की कि मकान हमारे हाथ से जाता रहा। जीभ भी जली और स्वाद भी न आया। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जीभ भी जली और स्वाद भी न आया' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Jeebh Bhi Jali Aur Swad Bhi Na Aaya