मृगतृष्णा बनने का क्या कारण है?

(A) पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(B) विसर्जन
(C) परावर्तन
(D) अपवर्तन

Question Asked : [RRB Ranchi ASM 2003]

Answer : पूर्ण आंतरिक परावर्तन

मृगतृष्णा बनने का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कारण है। मृगतृष्णा या मृगमरीचका (Mirage) एक प्रकार का वायुमंडलीय दृष्टिभ्रम है, जिसमें प्रेक्षक अस्तित्वहीन जलाशय एवं दूरस्थ वस्तु के उल्टे या बड़े आकार के प्रतिबिंब तथा अन्य प्रकार के विरूपण देखता है वस्तु और प्रेक्षक के बीच की दूरी कम होने पर प्रेक्षक या व्यक्ति का भ्रम दूर होता है और वह विरूपित प्रतिबिंब नहीं देख पाता। मरीचिका वायु मंडलीय अपवर्तन का एक अनोखा एवं आश्चर्यजनक प्रभाव है जो आमतौर पर गर्म रेगिस्तान में दिखाई पड़ती है रेगिस्तान में दिन के समय जब भूमि के निकट की वायु की परतें गर्म हो जाती हैं, तब वह विरल हो जाती है और ऊप की ठंडी परतों की अपेक्षा कम अपवर्तक होती है। अत: किसी सुदूर वस्तु से आने वाला प्रकाश ज्यों-ज्यों हवा की परतों से अपवर्तित होता है, त्यों-त्यों वह अभिलंब से अधिकाधिक विचलित होता जाता है और अंत में पूर्णत: आंतरिक रूप से परावर्तित हो जाता है। फलत: व्यक्ति वस्तु का काल्पनिक और उल्टा प्रतिबबिंब देखता है।
Tags : प्रकाशिकी भौतिक विज्ञान भौतिक विज्ञान प्रश्नोत्तरी
Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
करेंट अफेयर्स 2023 और नवीनतम जीके अपडेट के लिए GK Prashn Uttar YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें
Related Questions
Web Title : Mrigatrishna Banane Ka Kya Karan Hai