नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) खाना किसी का, एहसान किसी का खाते हो मेरा और बखान कर रहे हो अपने परिवार का।
(B) थोड़ा-थोड़ा करके अधिक हो जाता है।
(C) जिसने स्वयं दु:ख नहीं झेला है, वह दूसरे के दु:ख को नहीं समझ सकता
(D) फकीर को देखकर ही समझ लेना चाहिए कि वह कुछ मांगने ही आया है

Answer : खाना किसी का, एहसान किसी का खाते हो मेरा और बखान कर रहे हो अपने परिवार का।

Explanation : नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे का अर्थ nani ke tukde khave dadi ka pota kahave है 'खाना किसी का, एहसान किसी का खाते हो मेरा और बखान कर रहे हो अपने परिवार का।' हिंदी लोकोक्ति नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे का वाक्य में प्रयोग होगा – तुम तो नानी के टुकड़े खावे दादी का पोता कहावे वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हो।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Nani Ke Tukde Khave Dadi Ka Pota Kahave