पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) बीते हुए को भूलकर भविष्य के लिए संभल जाना चाहिए
(B) परतन्त्र व्यक्ति वास्तविक सुख नहीं पाता, भौतिक सुख चाहे उसे जितने उपलब्ध हों, मानसिक परतत्रंता उसे पीड़ित करती रहेगी। परतत्रंता में सुख नहीं मिलता
(C) बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल है
(D) जैसा व्यक्ति कर्म करेगा वैसा ही फल पायेगा

Answer : परतन्त्र व्यक्ति वास्तविक सुख नहीं पाता, भौतिक सुख चाहे उसे जितने उपलब्ध हों, मानसिक परतत्रंता उसे पीड़ित करती रहेगी। परतत्रंता में सुख नहीं मिलता

Explanation : पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं का अर्थ paradheen sapnehu sukh naahi है 'परतन्त्र व्यक्ति वास्तविक सुख नहीं पाता, भौतिक सुख चाहे उसे जितने उपलब्ध हों, मानसिक परतत्रंता उसे पीड़ित करती रहेगी। परतत्रंता में सुख नहीं मिलता।' हिंदी लोकोक्ति पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं का वाक्य में प्रयोग होगा – पिंजड़े में कैद पंक्षी को हम कितना भी सुख आराम एवं खाने को दाना पानी दें पिंजड़े में परतंत्र रह कर खुशी से विचरण करने लगती है, ​कवि तुलसीदास के इस दोहे को चरितार्थ करते हुए 'पराधीन सपनेहूं सुख नाहीं।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Paradheen Sapnehu Sukh Naahi