ऋग्वेद में संपत्ति का प्रमुख रूप क्या है?

(A) भूमि
(B) गोधन
(C) गोधन और भूमि
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : गोधन

Explanation : ऋग्वेद में संपत्ति का प्रमुख रूप गोधन है। गोधन का अर्थ 'गायों के रूप में संपत्ति' और 'गायों का समूह' होता है। ऋग्वेद दुनिया का प्रथम ग्रंथ और धर्मग्रंथ है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की लगभग 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। ऋग्वेद की रचना सम्भवतः सप्त-सैंधव प्रदेश में हुई थी। ऋग्वेद के 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं। प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं। उनमें सूक्तों की संख्या भी 191 है। दूसरे से सातवें मंडल तक का अंश ऋग्वेद का श्रेष्ठ भाग है। आठवें और प्रथम मंडल के प्रारम्भिक 50 सूक्तों में समानता है। वर्तमान में ऋग्वेद के 10 उपनिषद पाए जाते हैं। संभवत: इनके नाम ये हैं- ऐतरेय, आत्मबोध, कौषीतकि, मूद्गल, निर्वाण, नादबिंदू, अक्षमाया, त्रिपुरा, बह्वरुका और सौभाग्यलक्ष्मी।
Tags : ऋग्वेद
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Web Title : Rigved Mein Sampatti Ka Pramukh Roop Kya Hai