‘शतकत्रयम्’ के र​चयिता कौन है?

(A) भट्टि
(B) भर्तृहरि
(C) कालिदास
(D) मयूर

Question Asked : [TGT Exam 2010]

Answer : भर्तृहरि

भर्तृहरि शतकत्रय के प्रणेता कहे जाते हैं। ये तीन शतक हैं — श्रृंगारशतक, नीतिशतक और वैराग्यशतक। भर्तृहरि वाक्यपदीय के भी रचयिता माने जाते हैं। संभवत: वैराग्यशतक इनमें कवि की अंतिम रचना है। श्रृंगारशतक की कुल छंद संख्या 103, नीतिशतक की संख्या 101 है और वैराग्यशतक में 111 श्लोक हैं। भर्तृहरि के तीनों शतक मुक्तक काव्य जगत में अनुपम हैं। इन तीनों शतकों में वैराग्य शतक इनकी सर्वोत्तम कृति है, जिसमें सांसरिक सुखों की अ​स्थिरता तथा मानवीय जीवन की दु:खमयता का प्रभावोत्पादक चित्रण हैं। श्रृंगारशतक भर्तृहरि के यौवनोल्लास का उद्गार है इसमें श्रृंगार का उद्दाम-विलास वर्णन है। नीतिशतक तो व्यावहारिक उपदेशों का भंडार ही है। इसमें अडित पद्य इतने मार्मिक, यथार्थ और अनुभूति-प्रधान हैं कि वे तत्काल ह्रदयड्म होकर अध्येताओं को कल्याण पथ पर प्रवृत्त करने की प्रेरणा देते हैं। विषय-वर्णन के अनुसार नीतिशतक में 11 पद्धतियां हैं — 1. ब्रह्रा की स्तुति, 2. मूर्ख—निंदा, 3. विद्वत्पद्धति, 4. मान शौर्य—पद्धति, 5. अर्थ—पद्धति, 6. दुर्जन—पद्धति, 7. सृजन—पद्धति, 8. परोपकार—पद्धति, 9. धैर्य—पद्धति, 10. दैव—प्रशंसा और 11. कर्म—पद्धति।
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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