स्वस्तिक चिन्ह किस सभ्यता की देन है?

(A) पुरापाषाण काल
(B) नवपाषाण काल
(C) प्राचीन काल
(D) आधुनिक काल

Answer : पुरापाषाण काल

Explanation : स्वस्तिक चिन्ह पुरापाषाण काल की सभ्यता की देन है। स्वास्तिक ही ऐसा प्रतीक है जो सदियों से नहीं बल्कि हजारों सालों से विश्व की की करीब करीब हर सभ्यता में मौजूद रहा है। भारतीय संस्कृति में यह मंगल प्रतीक माना जाता रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक​ चिन्ह अंकित करके उसका पूजन किया जाता है। स्वास्तिष्क में एक दूसरे को काटकती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती है। स्वास्तिष्क की यह आकृति 02 प्रकार की हो सकती है। स्वास्तिक सिंधु घाटी स्भ्यता से प्राप्त मुहर जिसमें स्वास्तिक का प्रयोग है। स्वास्तिक शब्द सु + अस + क से बना है। सु का अर्थ अच्छा, अस का अर्थ सत्ता या अस्तित्व और क का अर्थ कर्ता या करने वाले से है। इस प्रकार स्वास्तिक शब्द का अर्थ अच्छा या मंगल करने वाला है। अमरकोश में स्वास्तिष्क का अर्थ आशीर्वाद, मंगल या पुण्यकार्य करना लिखा है। अमरकोश के शब्द स्वा​स्तिक सर्वतोऋद्व अर्थात् सभी दिशाओं में सबका कल्याण हो। इस प्रकार स्वास्तिष्क शब्द में किसी व्यक्ति या जाति विशेष का नहीं अपितु संपूर्ण विश्व के कल्याण या वसुधैव कुटुम्बकम की भावना निहित है।
Tags : कला और संस्कृति प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Swastik Chinh Kis Sabhyata Ki Den Hai