यक्ष के विरह का कितना समय बीत चुका है?

(A) चार मास
(B) आठ मास
(C) दस मास
(D) दो मास

Question Asked : [TGT Exam 2010]

Answer : आठ मास

यक्ष के विरह का आठ मास समय बीत चुका है। यक्षों के स्वामी अलकापुरी के राजा कुबेर ने अपने एक सेवक यक्ष (हेममाली) को अपने किसी कर्त्तव्य में प्रमाद के कारण स्वामी के वर्षावधिक शाप से अभिशप्त अपनी महिमा को खोकर रामगिरि के आश्रमों में निर्वासन के दिन व्यतीत कर रहा था। लगभग आठ मास का समय बीत चुका था। इस प्रकार 'मेघदूतम्' में शापान्त की अवधि चार मास कही गयी है। महाकवि कालिदास प्रणीत 'मेघदूतम्' के उत्तरमेघ के 53वें श्लोक में स्पष्ट उल्लेख किया है कि 'शेषान्मासान्गमय चतुरो लोचने मीलयित्वा' लिखकर शेष शाप की अवधि चार मास बताई है, जबकि पूर्वमेघ के प्रथम श्लोक में 'वर्षभोग्येण' कहकर शाप की अवधि एक वर्ष बतायी है। आठ मास व्यतीत हो चुके हैं।
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Yaksh Ke Virah Ka Kitna Samay Beet Chuka Hai