अभिज्ञानशाकुन्तलम् में विदूषक कौन है?

(A) वसन्तक
(B) मैत्रेय
(C) माधव्य
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : माधव्य

Explanation : 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक में विदूषक माधव्य है। विदूषक 'विशेषेण दूषय​तीति विदूषक' अर्थात जो दूषण-कला (लगाने-बझाने) में दक्ष हो उसे विदूषक कहते हैं। विदूषक में विदूषण-सम्बन्धी शारीरिक, मानसिक एवं वाचिक क्रियाओं का सामंजस्य होता है। शरीर से प्राय: बौना, दंतैल, कुबड़ा, टेढ़े मुंह वाला, गंजे सिर वाला तथा पीली आंखों वाला होता है। इसी प्रकार वचन से द्विजिह्वा (दुतरफा बात करने वाला) तथा मन से दुष्ट होता है। आचार्य भरत लिखते हैं–
वामनो दन्तुर: कुब्जो द्विजिह्वो विकृतानन:।
खलति: पिड़्गलाक्षश्च स विधेयो विदूषक:।।– नाट्यशास्त्र
कुसुमवसन्ताद्यभिध: कर्मवपुर्वेषभाषाद्यै:।
हास्यकर: कलहरतिर्विदूषक: स्यात स्वकर्मज्ञ:।।– साहित्यदर्पण
जो अपने कार्यों, शारीरिक चेष्टाओं, वेष और बोली आदि के द्वारा जनता को हंसाता है, कलह में प्रेम करता है और अपने हास्य के कार्य को ठीक जानता है, उसे विदूषक कहते हैं। कुसुम, वसन्त आदि उसके नाम हैं।
अभिज्ञानशाकुन्तलम् के द्वितीय अंक के प्रारम्भ में ही विदूषक (माधव्य) का चित्रण हुआ है। अभिज्ञानशाकुन्तलम् में विदूषक को केवल तीन अंकों में ही रंगमंच पर लाया गया है। इसके द्वितीय अंक में विदूषक का चित्रण हुआ है।
Tags : संस्कृत
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Web Title : Abhigyan Shakuntalam Mein Vidushak Kaun Hai