भर्तृहरि ने विद्या के विषय में क्या कहा है?

(A) अपार शक्ति
(B) लाभ का कारण
(C) उत्कृष्ट धन
(D) दानवान व्यक्ति

Answer : उत्कृष्ट धन

Explanation : भर्तृहरि ने विद्या के विषय में कहा है कि ​'विद्या विहीन: पशु', जो नीति शतक नामक ग्रंथ से संबंधित है। भर्तृहरि ने विद्या को सबसे उत्कृष्ट धन बताया है और कहा कि विद्या से विहीन मनुष्य पशु के समान है। विद्या ही परदेश गमन पर सर्वश्रेष्ठ धन सिद्ध होती है। यह गुरुओं का भी 'गृरु' है। राजगण विद्या की पूजा करते हैं धन की नहीं। बता दे कि नीति शतक भर्तृहरि की रचना है, जिसमें कुल 111 श्लोक है। भर्तृहरि ने नीतिशतक में ​ब्रह्म की स्तुति के पश्चात् 'मूर्ख निन्दा' से ग्रंथ का आरंभ कया है।
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Web Title : Bharthari Ne Vidya Ke Vishay Mein Kya Kaha Hai