गणेश चतुर्थी हर महीने दो बार क्यों मनाई जाती है?

Answer : विनायक जयंती और संकष्टी चतुर्थी

हर महीने की शुक्ल चतुर्थी को विनायक जयंती तथा कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, जो गणपति के दो दिव्य जन्म और अवतरण का सूचक है। पहले जन्म में वह देहधारी विनायक हैं। दूसरे में वह हाथी का मस्तक धारण किए हुए श्री गणेश हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिशूल का प्रहार कर गणेश जी का सिर काट दिया था। फिर माता पार्वती के अनुरोध तथा श्री विष्णु के सहयोग से उस स्थान पर एक निर्मल व महीन बुद्धि वाला हाथी का मस्तिष्क जोड़ दिया। उसके बाद संजीवनी मंत्र से महादेव ने पुत्र को पुन: जीवित किया और उसका का नाम ‘गणों के ईश’ यानी गणेश, गणपति रखा। गणेश शब्द का दूसरा अर्थ शुद्धता, शुचिता व पवित्रता भी है। यानी शिव ने विनायक के अज्ञानता भरे सिर को गिरा कर उसके स्थान पर सद्विद्या, दिव्य बुद्धि, पूर्ण सिद्धि, विनय, पावनता, महान मस्तिष्क स्थापित किया। वर्णन आता है, बाद में शिव ने देवी पार्वती के साथ मिलकर श्री गणेश का नामकरण उत्सव मनाया। तिलक चंदन व मुकुट से पूजा, अभिषेक कराया। कालांतर में गणेश की विलक्षण बुद्धि व प्रतिभा से प्रसन्न होकर उन्हें सभी देवों में प्रथम पूज्य भी घोषित किया।

गणेश जी की उपासना करना सही अर्थ में उनके दिव्य गुण, बुद्धि, विधि, सिद्धि और शक्तियों का आह्वान करना और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करना है। उससे ही हमारे जीवन व समाज में सच्ची सुख, शांति, समृद्धि, शुभता आएगी और सभी बाधाओं, विघ्नों, अभावों, अशुभताओं व नकारात्मकता का अंधकार अपने आप दूर होगा।
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Web Title : Ganesh Chaturthi Har Mahine Do Baar Kyon Manayi Jati Hai