जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) हर चीज का कारण अवश्य होता है
(B) अवसर के अनुकूल बन जाना चाहिए
(C) निरन्तर कार्य करने से व्यक्ति प्रगति करता है।
(D) मौज मस्ती का जीवन

Answer : अवसर के अनुकूल बन जाना चाहिए

Explanation : जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै का अर्थ jaisi bahai bayar peeth tab taisi dijai है 'अवसर के अनुकूल बन जाना चाहिए।' हिंदी लोकोक्ति जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै का वाक्य में प्रयोग होगा – अब आप सिद्धान्त की बातें छोड़ो, आज के युग में बिना लेन-देन किए कोई काम नहीं होता, वर्तमान युग को देखकर ही कहावत है-जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जैसी बहै बयार, पीठ तब तैसी दीजै' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Jaisi Bahai Bayar Peeth Tab Taisi Dijai