Explanation : कुचिपुड़ी (Kuchipudi) नृत्य शैली में कथा/भाव महाभारत या रामायण से लिया जाता है। इसमें विष्णु के दसों अवतारों का चित्रण अभिनय और कुशलता के साथ होता है। कृष्ण, राम, बुद्ध, वामन, कल्कि आदि या उनके कथानक की अभिव्यक्ति कुचिपुड़ी का एक अंग है। विजयवाड़ा और गोलकुंडा के शासकों के द्वारा इस नृत्य को संरक्षित किया गया है। कुचिपुड़ी नृत्य भारत के मुख्य 11 शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। जिसका 20वीं शताब्दी के बाद से प्रचलन चला आ रहा है। इस नृत्य का नाम आंध्र प्रदेश के एक जिले कृष्णा के गाँव कुचेलापुरी या कुचेलापुरम के आधार पर रखा गया।
भरतनाट्यम तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है जिसे कर्नाटक संगीत के माध्यम से एक व्यक्ति प्रस्तुत करता है।
कथकली केरल का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है। कुचिपुड़ी आंध्रप्रदेश का नाट्य-नृत्य है। इसमें अनेक कथानकों पर नृत्य होता है।
ओडिसी ओडिसा का प्राचीन नृत्य है।
कथक मूलत: उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। 13वीं शताब्दी के संगीत रत्नाकर ग्रंथों में कथक शब्द मिलता है।
मणिपुरी मणिपुर का प्राचीन नृत्य है जो वैष्णव धर्म की विषय वस्तु का अवलम्बन लेकर शास्त्रीय नृत्य में रंग गया।
मोहिनीअट्टम केरल का नृत्य है। यह वैष्णव भक्त परंपरा से अनुप्राणित नृत्य है।
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