पदं हि सर्वत्र गुणैर्निधीयते का अर्थ

(A) दीन वचन मत बोलो।
(B) बोलने में क्या दारिद्र्य।
(C) गुण ही सर्वत्र शत्रु-मित्रादिकों में पैर को स्थापित करते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : गुण ही सर्वत्र शत्रु-मित्रादिकों में पैर को स्थापित करते हैं।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'पदं हि सर्वत्र गुणैर्निधीयते' का हिंदी में अर्थ– गुण ही सर्वत्र शत्रु-मित्रादिकों में पैर को स्थापित करते हैं। संस्कृत की यह सूक्ति रघुवंशम्– 3/62 से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
कर्तार: सुलभा लोके विज्ञातारस्तु दुर्लभा:।। (स्वप्नवासवदत्तम् 4/9)
हिंदी में अर्थ– संसार में सत्कार करने वाले लोग बहुत मिल जाते हैं लेकिन उसके वास्तविक ज्ञाता बहुत कम मिलते हैं।

क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्।
हिंदी में अर्थ– क्षण त्यागने से विद्या कहां और कण त्यागने से धन कहां।

स्वरवीर्यगुप्त हि मनो: प्रसूति: (रघुवंशम् 2/4)
हिंदी में अर्थ– मनु के वंश में उत्प्न्न राजा लोग अपने ही पराक्रम से आत्मरक्षा कर लेते थे।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Padam Hi Sarvatra Gunairnidhiyate