प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था किसलिए बनाई गई थी?

(A) श्रमिक गतिहीनता
(B) श्रम की गरिमा को मान्यता देने हेतु
(C) आर्थिक उत्थान
(D) व्यवसायिक श्रम विभाजन

Question Asked : FCI Assistant 2012

Answer : व्यवसायिक श्रम विभाजन

प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था व्यवसायिक श्रम विभाजन के लिए बनाई गई थी। भारत में वर्ण व्यवस्था को भी दो चरणों में देखा जा सकता है। ऋग्वैदिक काल (पूर्व वैदिक काल) और उत्तर वैदिक काल में। ऋग्वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था श्रम आधारित व उत्तर वैदिक काल में यह व्यवस्था जन्म आधारित हो गयी। प्राचीन भारतीय सामाजिक विचारकों ने भी मनुष्य की मनोवैज्ञानिक प्रवृतियों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक स्तरीकरण को एक सुनियोजित नीति को अपनाया तथा कार्यात्मक दृष्टि से समाज को चार वर्गों में विभाजित किया। जिन्हें-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र के नाम से जाना जाता है। वर्ण-व्यवस्था भारतीय सामाजिक संगठन के मौलिक तत्व के रूप में पायी जाती है। भारतीय संस्कृति में समाज में प्रत्येक व्यक्ति का स्थान तथा उससे सम्बंधित कार्य उसकी मूलभूत प्रवृत्तियों यानी गुणों के आधार पर निश्चित होता था।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी वैदिक सभ्यता वैदिक संस्कृति हड़प्पा सभ्यता
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Web Title : Pracheen Bharat Mein Varn Vyavastha