स्त्रियों का आशाबंध कैसा होता है?

(A) नवनीतसदृश्य
(B) पाषाणसदृश
(C) कुसुमसदृश
(D) वज्रसदृश

Question Asked : [TGT Exam 2005]

Answer : कुसुमसदृश

स्त्रियों का आशाबंध 'कुमारसदृश' होता है। दीपशिखा कालिदास विरचित 'मेघदूतम्' के पूर्वमेघ के 9वें श्लोक में स्पष्ट वर्णन किया गया है — आशाबंध: कुसुमसदृशं प्रायशो हाड्नानां सद्य:पाति प्रणयित ह्रदयं विप्रयोगे रुणिद्धि' का तात्पर्य है कि आशारूपी बंध (तंतु) स्त्रियों के फूल के समान (कोमल), वियोग में शीघ्र नष्ट हो जाने वाले प्रेमी ह्रदय को प्राय: रोके रखता है। कुसुमसदृशम—फूल के समान है। यह ह्रदय का विशेषण है। कुलीन स्त्रियों का ह्रदय पुष्पवत् कोमल होता है, यह बात भवभूति के 'उत्तररामचरितम्' में भी लिखी है — 'पुरन्ध्रीणां चेत: कुसुमसुकुमारं ही भवति।' कालिदास — अभिज्ञानशाकुन्तलम्' में भी इसका प्रयोग किया है — 'गुर्वपि विरहदु:खम् आशाबंध: साहयति।'
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Striyo Ka Ashabandh Kaisa Hota Hai