शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् का अर्थ

(A) कमजोर व्यक्ति दयारहित होते हैं।
(B) शरीर की रक्षा करना प्रधान धर्म है।
(C) आहार, व्यवहार में लल्जा छोड़ने से ही सुख मिलता है।
(D) कुटिल मनुष्यों के साथ सरलता का व्यवहार नीति-युक्त नहीं है।

Answer : शरीर की रक्षा करना प्रधान धर्म है।

Explanation : शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् का अर्थ शरीर की रक्षा करना प्रधान धर्म है। यह संस्कृत की प्रसिद्ध कहावत है। शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् श्लोक, शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् मीनिंग इन हिंदी शब्दार्थ है शरीर की रक्षा करना प्रधान धर्म है। संस्कृत के मुहावरे एवं संस्कृत लोकोक्तियाँ के अर्थ सामान्य हिंदी के पेपर में अक्सर पूछे जाते है। संस्कृत की एक प्रचलित कहावत यह भी है–
नहिं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।
अर्थ – सोये हुए सिहं के मुख में अपने आप हिरन नहीं चले जाते।
क्षीणा नरा: निष्करुणा भवन्ति।
अर्थ – कमजोर व्यक्ति दयारहित होते हैं।
Tags : संस्कृत मुहावरे संस्कृत लोकोक्तियाँ
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Web Title : Shariram Adyam Khalu Dharma Sadhanam