अग्रसेन महाराज के पुत्र कितने थे?

(A) 15 पुत्र
(B) 16 पुत्र
(C) 17 पुत्र
(D) 18 पुत्र

Answer : 18 पुत्र

अग्रसेन महाराज के 18 पुत्र थे। वैश्यों की कुलदेवी माता महालक्ष्मी जी की कृपा से इनके 18 पुत्र हुए। जिसमें राजकुमार विभु सबसे बड़े पुत्र थे। कहा जाता है कि गर्ग ऋषि ने अग्रसेन को 18 पुत्र के संग 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया था। इन्हीं के नाम पर सम्पूर्ण अग्रवंश की स्थापना हुई। पहले यज्ञ के पुरोहित खुद महर्षि गर्ग बने, ज्येष्ठ पुत्र विभु को दीक्षित कर गर्ग गोत्र से उन्हें मंत्रित किया। इसी तरह द्वितीय यज्ञ ऋषि गोभिल ने संपन्न कराया और द्वितीय पुत्र को गोयल गोत्र से मंत्रित किया। गौतम ॠषि ने तीसरा यज्ञ करकर गोइन नामक गोत्र धारण करवाया, चौथे में महर्षि वत्स ने बंसल अथवा बांसल गोत्र, पाँचवे में महर्षि कौशिक ने कंसल गोत्र, छठे यज्ञ को महर्षि शांडिल्य ने सिंघल गोत्र, सातवे में महर्षि मंगल ने मंगल गोत्र, आठवें में महर्षि जैमिन ने जिंदल गोत्र, नौवे में महर्षि तांड्य ने तिंगल गोत्र, दसवें में महर्षि और्व ने ऐरन गोत्र, ग्यारहवें में महर्षि धौम्य ने धारण गोत्र, बारहवें में महर्षि मुदगल ने मन्दल गोत्र, तेरहवें में महर्षि वशिष्ठ ने बिंदल गोत्र, चौदहवें में महर्षि मैत्रेय ने मित्तल गोत्र, पंद्रहवें महर्षि कश्यप ने कुच्छल अथवा कंछल गोत्र दीक्षित कर धारण करवाया।

17वां यज्ञ पूरा हो गया था। 18 वें यज्ञ में क्षत्रिय धर्म के अनुसार जीवित पशु की बलि दी जा रही थी, उसे देखकर अग्रसेन महाराज को घृणा उत्पन्न हो गई। उनका ह्रदय पसीज गया और वो भावविभोर हो उठे। उन्होंने तुरंत यज्ञ को मध्य में ही अवोधित कर दिया और कहा कि भविष्य में मेरे राज्य, मेरे क्षेत्र, मेरे वंश का कोई भी व्यक्ति यज्ञ में पशु बलि नहीं देगाा। न ही पशु की हत्या होगी और ना ही मांसाहार भोजन कोई खायेगा और राज्य का प्रत्येक व्यक्ति प्राणीमात्र की रक्षा करेगा। जिसके बाद कहा जाता है कि महाराजा ने क्षत्रिय धर्म को त्याग कर शांतिप्रिय वैश्य धर्मं लिया। महर्षि नगेन्द्र ने 18वें यज्ञ में नांगल गोत्र से अभिमंत्रित किया।
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Web Title : Agrasen Maharaj Ke Putr Kitne The