मैकमोहन रेखा का निर्धारण कब हुआ?
(A) वर्ष 1911 में
(B) वर्ष 1914 में
(C) वर्ष 1924 में
(D) वर्ष 1942 में
Explanation : भारत और चीन की सीमा रेखा का नाम मैकमोहन रेखा है। वर्ष 1914 में भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत मैकमहोन रेखा अस्तित्व में आई थी। इस सीमारेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था। जो भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे और समझौते में अहम भूमिका अदा की थी। अधिकांश हिमालय से होती हुई सीमारेखा पश्चिम में भूटान से 890 कि.मी. और पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक 260 कि.मी. तक फैली है। भारत इसे चीन के साथ अपनी सरहद मानता है।
इसके विपरीत, चीन 1914 के शिमला समझौते को खारिज करता है। उसके अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और किसी भी किस्म का समझौता करने का उसके पास कोई अधिकार नहीं था। चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमहोन रेखा के दक्षिण में 56 हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस क्षेत्र को चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है। लेकिन भारत-चीन के बीच भौगोलिक सीमा रेखा के तौर पर इसे जरूर जाना जाता है।
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