नील की खेती का ह्रास किस कारण से हुआ?

(A) नील के उत्पादकों के अत्याचारी आचरण के प्रति काश्तकारों का विरोध
(B) नई खोजों के कारण विश्व बाजार में इसका अलाभकर होना
(C) नील की खेती का राष्ट्रीय नेताओं द्वारा विरोध किया जाना
(D) उत्पादकों के ऊपर सरकार का नियंत्रण

Answer : नई खोजों के कारण विश्व बाजार में इसका अलाभकर होना

Explanation : नील की खेती 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के शुरुआत में अपने चरम पर थी। नील की खेती में बिहार का चंपारण क्षेत्र काफी प्रसिद्ध था। महात्मा गाँधी ने यहाँ वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह किया था। वर्ष 1856 में भारत में लगभग 19000 टन नील का उत्पादन हुआ था। उस समय पूरा नील यूरोप भेज दिया जाता था। औद्योगिक क्रांति के पश्चात् कपड़ा उद्योग का तेजी से विकास हुआ। इसी क्रम में जर्मनी की दो कंपनियां ‘बड़ीश एनिलीन' और 'सोड़ा फैब्रिक' सिन्थेटिकं नील का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन करने लगी। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक नील की माँग घट गई। इस प्रकार भारत में 20वीं शताब्दी के आरंभ में नील की खेती का ह्रास नई खोजों के कारण तथा विश्व बाजार में अलाभकर होने के कारण हुआ।
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Web Title : Neel Ki Kheti Ka Hras Kis Karan Se Hua