1884 का रखमाबाई मुकदमा क्या है?

(A) दांपत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन
(B) सहमति की आयु
(C) महिलाओं का शिक्षा पाने का अधिकार
(D) A और B दोनों

Answer : A और B दोनों

Explanation : रखमाबाई (Rukhmabai) का जन्म 22 नवंबर 1864 को जयंतीबाई और जनार्दन जी के यहां महाराष्ट्र में हुआ था। उस वक्त भारत में बालविवाह का प्रचलन था इसलिए उनकी शादी कम आयु (11 वर्ष) में कर दी गई थी। वह अपने माता-पिता के घर में रहकर पढ़ाई करती थीं, लेकिन उनके पति को यह पसंद नहीं था। रखमाबाई को यह नागवार गुजरा। उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा कि पढ़ने-लिखने की उम्र में उन्हें पति के साथ रहना पड़ रहा है। इसके अलावा रखमाबाई कम आयु में गर्भवती होने के खिलाफ थीं। इनके पति दादाजी भीकाजी ने इनके खिलाफ वैवाहिक अधिकार के लिए वर्ष 1884 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यही मुकदमा भारत में शादी की आयु को तय करने का आधार बना। इस प्रकार वर्ष 1884 का रखमाबाई मुकदमा सहमति की आयु तथा दांपत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन पर केंद्रित था। रखमाबाई महिला अधिकारों को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया में 'द हिंदू लेडी' नाम के लेख भी लिखा करती थी।
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Web Title : Rakhmabai Mukadma Kya Hai