प्राक्केंद्रिक स्थानांतरण का प्रयोग किसलिए होता है?

(A) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिए दाता शुक्राणु का उपयोग
(B) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(C) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूणों में विकास
(D) संतान में सूत्रकणिका वाले रोगों का निरोध

Answer : संतान में सूत्रकणिका वाले रोगों का निरोध

Explanation : प्राक्केंद्रिक स्थानांतरण (Pronuclear Transfer) तकनीक में, इन विट्रो निषेचन के पश्चात् विकृत माइटोकॉण्ड्रिया (mt DNA उत्परिवर्तन युक्त) युग्मनज (Zygote) में से प्राक् केंद्रक को सामान्य माइटोकॉण्ड्रिया युक्त अन्य युग्मनज की कोशिका में स्थानांतरित (प्रतिस्थापन) कर दिया जाता है। mt DNA उत्परिवर्तन अण्डाणु के मातृक, माइटोकॉण्ड्रिया के द्वारा संचरित होते हैं एवं अनेक गंभीर आनुवंशिक रोगों के कारक होते हैं। अतः यह तकनीक संतति में माइटोकॉण्ड्रियल रोगों का संचरण या स्थानांतरण रोकती है। इस तकनीक में सर्वप्रथम स्वस्थ दाता अंडाणु जिसमें सामान्य माइटोकाण्ड्रिया होते हैं, का इन विट्रो निषेचन करवाया जाता है।
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Prakkendrik Sthanantaran Ka Prayog Kisliye Hota Hai