सगुण भक्ति का अर्थ क्या है?

Answer : आराध्य के रूप–गुण, आकर की कल्पना अपने भावानुरूप कर उसे अपने बीच व्याप्त देखना

Explanation : सगुण भक्ति का अर्थ आराध्य के रूप–गुण, आकर की कल्पना अपने भावानुरूप कर उसे अपने बीच व्याप्त देखना है। सगुण भक्ति में ब्रह्म के अवतार रूप की प्रतिष्ठा है और अवतारवाद पुराणों के साथ प्रचार में आया। इसी से विष्णु अथवा ब्रह्म के दो अवतार राम और कृष्ण के उपासकों के बीच यह लोकप्रिय परंपरा विकसित हुई। भक्तिकाल की सगुण काव्य धारा के अंतर्गत आराध्य देवताओं में श्रीकृष्ण का स्थान सर्वोपरि है। वैष्णव भक्ति सम्प्रदायों में वल्लभाचार्यपुष्टिमार्ग। निंबार्काचार्य- निंबार्क, श्री हितहरिवंश - राधावल्लभ, स्वामी हरिदासहरिदासी, चैतन्य महाप्रभु- गौडीय संप्रदाय सभी संप्रदायों में पूर्ण ब्रह्म श्री कृष्ण तथा श्री राधा उनकी आह्लादिनी शक्ति की उपासना की गयी। वहीं तुलसीदास राम की आराधना के लिए जाने जाते हैं।
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Web Title : Sagun Bhakti Ka Arth