सौर ऊर्जा (Solar Energy) का स्त्रोत है

(A) नाभिकीय विखंडन
(B) गुरुत्वीय संकुचन
(C) दहन
(D) नाभिकीय संलयन

Question Asked : [बिहार SSC CGL मुख्य परीक्षा 27-01-2013]

Answer : नाभिकीय संलयन

सौर ऊर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन है। सूर्य एक मुख्य अनुक्रमिक तारा है। यह हीलियम में हाइड्रोजन केंद्रक के नाभिकीय संलयन द्वारा अपनी ऊर्जा उत्पादित करता है। सूर्य अपने केंद्र से प्रत्येक सेंकड 620 मिलियन मैट्रिक टन हाइड्रोजन संलयित (fuses) करता है। बतादें कि जब दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर एक भारी तत्व के नाभिक की रचना करते हैं तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप जिस नाभिक का निर्माण होता है उसका द्रव्यमान संलयन में भाग लेने वाले दोनों नाभिकों के सम्मिलित द्रव्यमान से कम होता है। द्रव्यमान में यह कमी ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण E = mc2 से ज्ञात करते हैं। तारों के अन्दर यह क्रिया निरन्तर जारी है।
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Web Title : Saur Urja Ka Srot Hai