विद्या विहीन पशु का अर्थ

(A) समृद्धशाली राज्य इन्द्र के पद स्वर्ग के समान होता है।
(B) प्रियंवदा कहती है नवमालिका को गर्म जल से कौन सींचना चाहेगा।
(C) विद्याविहीन मनुष्य पशु के समान है।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : वाणी रूपी भूषण (अलड़्कार) ही सदा बना रहता है, कभी नष्ट नहीं होता।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'विद्या विहीन पशु' का हिंदी में अर्थ– विद्याविहीन मनुष्य पशु के समान है। संस्कृत की यह सूक्ति नीतिशतकम् से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
न केवलानां पयसां प्रसूतिमवेहि मां कामदुधां प्रसन्नाम् (रघुवंशम् 2/63)
हिंदी में अर्थ– नन्दिनी राजा दिलीप से कहती है, वर मांगो, मैं केवल दूध देने वाली गाय मात्र नहीं हूं बल्कि प्रसन्न होने पर अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाली भी हूं।

न पादपोन्मूलनशक्तिरंह: शिलोच्चये मूर्च्छति मारुतस्य। (रघुवंशम्– 2/34)
हिंदी में अर्थ– सिंह ने राजा दिलीप से कहा– मुझ पर बाण चलाने का प्रयास व्यर्थ है, क्योंकि जो वायु का वेग वृक्षों को जड़ से उखाड़ने की शक्ति रखता है, वह पर्वत पर व्य​र्थ हो जाता है।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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