सामाजिक स्तरीकरण का आधार किसे माना जाता है?

(A) वर्ण
(B) जाति
(C) शक्ति
(D) उपर्युक्त सभी

Answer : उपर्युक्त सभी

Explanation : सामाजिक स्तरीकरण का आधार वर्ण, जाति और शक्ति को माना जाता है। सामाजिक स्तरीकरण यानी गैर-बराबरी वह व्यवस्था है, जिसके अंतर्गत समाज के विभिन्न समूहों को क्रमशः उच्च से निम्न तक की स्थिति में रखा जाता है। इसे सामाजिक सोपान व्यवस्था या उच्चोधन व्यवस्था भी कहते हैं। स्तरीकरण समाज की विभिन्न प्रस्थितियों का क्रम विन्यास है। क्रम-विन्यास का आधार प्रस्थिति है, जो कि सामाजिक मूल्यों पर निर्भर करती है। अतः वह विभेदीकरण जिसका आधार क्रम-विन्यास है, स्तरीकरण कहलाता है। सामाजिक स्तरीकरण में उच्चतम से निम्नतम सामाजिक स्थिति वाले सभी समूहों का समावेश होता है। मानव समाज में ऐसा कोई युग नहीं मिलता जिसमें सभी लोगों की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति एक समान रही हो।

सामाजिक स्तरीकरण किसी न किसी रूप में सभी समाजों में सार्वभौमिक रूप में देखा जा सकता है। ‘स्तरीकरण' शब्द समाज शास्त्र में भू–गर्भशास्त्र से लिया गया है। भू–गर्भशास्त्र में चट्टानों को विभिन्न स्तरों में बाँटा जाता है। समाज में भी इसी प्रकार अनेक सामाजिक परतें पाई जाती हैं। प्रत्येक समाज अपने सदस्यों को आय, संपत्ति, व्यवसाय, जाति, पद आदि आधारों पर उच्च व निम्न की श्रेणी में विभाजित करता है। यह प्रत्येक विभाजन एक परत के समान है और ये सभी परतें जब उच्चता और निम्नता के क्रम में रखी जाती हैं, तो इसे हम ‘सामाजिक स्तरीकरण' के नाम से समझते हैं। सामाजिक स्तरीकरण विभिन्न सामाजिक समूहों में न केवल सामाजिक स्थिति या पद को बल्कि सामाजिक अधिकार, शक्ति, सत्ता व अयोग्यताओं को भी विभाजित करने की एक सामाजिक व्यवस्था है।
Tags : समाजशास्त्र प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Samajik Starikaran Ka Aadhar Kise Mana Jata Hai