भातखंडे जी की लिखी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तकों की संख्या कितनी है?

(A) 100 पुस्तकें
(B) 150 पुस्तकें
(C) 200 पुस्तकें
(D) 225 पुस्तकें

Answer : 200 पुस्तकें

Explanation : भातखंडे जी की लिखी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तकों की संख्या करीब 200 हैं। उनका जन्म 10 अगस्त, 1860 को मुंबई प्रांत के बालकेश्वर नामक स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उच्च ब्राह्मण वंश में हुआ था। इन्हें संगीत की शिक्षा अपने माता-पिता से मिली। वर्ष 1883 में बीए और 1890 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के उपरांत इन्होंने कराची शहर के हाईकोर्ट में वकालत करनी आरंभ कर दी और कामयाब वकील सिद्ध हुए, किंतु संगीत प्रेमी प्रकृति तो इनकी जन्म से ही थी। अत: पत्नी और बेटे की मृत्यु के उपरांत संगीत के क्षेत्र में प्रविष्ट हो गए।

पंडित भातखंडे जी (Pt. Vishnu Narayan Bhatkhande) का प्रथम कार्य स्वर लिपि का आविष्कार था। इनकी बनाई हुई स्वरलिपि सरल होते हुए भी पूर्ण उपयोगी है। इस स्वर लिपि का प्रचार सर्वाधिक है। पंडित जी ने देश भ्रमण के दौरान जो विविध प्रकार के ज्ञान ग्रहण किए उन सभी को स्वरलिपिबद्ध कर प्रकाशित कराया। ये राग एवं गीत क्रमिक पुस्तक मालिका के छह: भागों में प्रसिद्ध हुए। इसके बाद उनका दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है संगीत के प्रचलित स्वरूप के अनुसार उसकी शास्त्रीय जानकारी को एकत्रित करना। उन्होंने संगीत के कला पक्ष का और शास्त्रीय पक्ष का तालमेल स्थापित किया। वह जीवनभर संगीत क्षेत्र में कार्य करते रहे। अंत में फालिज पड़ने के कारण स्वास्थ्य बिगड़ गया तथा वर्ष 1936 में उनका निधन हो गया।
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Web Title : Bhatkhande Ji Ki Likhi Sarvadhik Prasidh Pustako Ki Sankhya Kitni Hai