संगीत रत्नाकर ग्रंथ में जाति के कितने लक्षण माने गये हैं?

(A) 9 जाति लक्षण
(B) 11 जाति लक्षण
(C) 13 जाति लक्षण
(D) 15 जाति लक्षण

Answer : तेरह प्रकार की जाति लक्षण

Explanation : संगीत रत्नाकर ग्रंथ में जाति के 13 लक्षण माने गये हैं। संगीत रत्नाकर ग्रंथ के सात अध्याय हैं–जिसमें स्वरगताध्याय, रागविवेकाध्याय, प्रकीर्णकाध्याय, प्रबंधाध्याय, तालाध्याय, वाद्याध्याय तथा नर्तनाध्याय। इसमें शुरू के छ: अध्याय संगीत और वाद्ययंत्रों के बारे में और अंतिम सातवाँ अध्याय नृत्य के बारे में है। संगीत रत्नाकर के प्रथम अध्याय स्वरगताध्याय में 8 प्रकरण हैं–
1. पहला - पदार्थ संग्रह प्रकरण
2. दूसरा - पिण्डोत्पत्ति प्रकरण
3. तीसरा - नाद-स्थान- श्रुति- स्वर- कुलदेवता ऋषि
4. चौथा - ग्राम-मूर्च्छना-क्रम-तान प्रकरण
5. पाँचवा - साधारण प्रकरण
6. छटा - वर्ण अलंकार प्रकरण
7. सातवाँ - जाति प्रकरण
8. आठवाँ - गीति प्रकरण

पं. शारंगदेव रचित ‘संगीत रत्नाकर’ के प्रथम अध्याय में-शरीर, नाद उत्पत्ति की विधि, स्थान और श्रुति, सात शुद्ध स्वर, बारह विकृत स्वर, स्वरों के कुछ, जाति, वर्ण, द्वीप, ऋषि देवता और छंद तथा उनका विनियोग, श्रुति जातियाँ, ग्राम और मूर्च्छनाएँ, शुद्ध और कूट तानें, प्रस्तार उद्धिष्ट का प्रबोध खण्ड मेरू स्वर साधारण, जाति साधारण, काकली तथा अंतर स्वरों का सम्यक प्रयोग, वर्ण का लक्षण, तिरसठ अलंकार, ग्रह-अंश आदि तेरह प्रकार की जाति लक्षण, कपाल और कंबल और अनेक प्रकार की गीतियाँ, इत्यादि इन सभी विषयों का उल्लेख किया गया है।
Tags : संगीत रत्नाकर स्वरलिपि
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Web Title : Sangeet Ratnakar Granth Mein Jati Ke Kitne Lakshan Mane Gaye Hai